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Showing posts from June, 2023

Bhishma Pitamah Death Bed Conversation with Lord Krishna

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 *भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ?* *उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... !* *कृष्ण चुप रहे .... !* *भीष्म ने पुनः कहा ,  "कुछ पूछूँ केशव .... ?* *बड़े अच्छे समय से आये हो .... !* *सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!* *कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....!* *एक बात बताओ प्रभु !  तुम तो ईश्वर हो न .... ?* *कृष्ण ने बीच में ही टोका ,  "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ...  मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."* *भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... !  बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "* *कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले ....  " कहिये पितामह .... !"* *भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया !  इस युद्ध में ज

Bhishma Pitamah Death Bed Conversation with Lord Krishna

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 *भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ?* *उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... !* *कृष्ण चुप रहे .... !* *भीष्म ने पुनः कहा ,  "कुछ पूछूँ केशव .... ?* *बड़े अच्छे समय से आये हो .... !* *सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!* *कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....!* *एक बात बताओ प्रभु !  तुम तो ईश्वर हो न .... ?* *कृष्ण ने बीच में ही टोका ,  "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ...  मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."* *भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... !  बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "* *कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले ....  " कहिये पितामह .... !"* *भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया !  इस युद्ध में ज

How They Destroyed India❓

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जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, एैसे ही हाल में छोड़ के गए थे राजीव गाँधी भारत को...  सोनिया ने पर्दे के पीछे किस कदर लूट की होगी ? सोचिये...  तब 40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था... जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी... RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार... काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमें अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था । ये स्थिति थी भारतीय इकॉनॉमी की । मुझे याद हैं नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को, वो दिन भी देखना पड़ा था जब, भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था... राजीव गाँधी के शासनकाल में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी । और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी... चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे... तिजोरी खाली थी । वे घबरा गए । करें तो क्या करें ? Reddy अपने पुस्तक मे लिखते हैं कि पूरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था... राजीव गाँधी ने अपने शासनकाल में कोई रोज़गार नहीं दिया था। नया उद्योग धन्धा नहीं... एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास