मुस्लिम अपराधियों को भारतीय दंड संहिता के हिसाब से नही लेकिन शरिया के हिसाब से ही सजा मिलनी चाहिये
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हलाला के लिये बीवी को गैरमर्द के बिस्तर पर भेजने पर इस्लाम सुरक्षित है।
*और उसी बीवी का चेहरा गैर मर्द देख ले तो मजहब खतरे में* 🤔😳😳🤫🤫
बहुत सोचने के बाद मेरा तो व्यक्तिगत मत है कि भारत सरकार मुसलमानों के लिए अलग से सरिया कोर्ट बनाएं और मुस्लिमों के मैटरो में सरिया के अनुसार ही सजा तय करें...
सारे मुस्लिम अपराधियों को भारतीय दंड संहिता के हिसाब से नही लेकिन सरिया के हिसाब से ही सजा मिलने चाहिये
✩ बलात्कार पर इनके #लिंग काटो,
✩ चोरी, लूट पर इनके हाथ काटो,
✩ किसी धर्म के अपमान पर इनको सूली पर चढ़ाओ,
✩ मुस्लिम महिलाएं बिना बुर्के में दिखे उनको पत्थरों से मारने, कोड़े मारने की सजा हो,
✩ इनके मामलों को इनके हिसाब से ही अरबी स्टाइल में सजा दी जाए।
यह लोग जल्द यू ही खत्म हो जाएंगे। साल भर के अंदर इनका सरिया का भूत उतर जाएगा यह वापस संविधान के दायरे में हाथ जोड़ते हुए आ जाएंगे।
इसलिए मैं तो सरकार से मांग करता हूं कि इस जिहादी जमात के मामलों के लिए खूंखार सरिया कोर्ट हर जिले स्तर पर बना दी जाए। कोई जमानत या जेल नहीं, एक दो साल में ही इनके लिंग, हाथ, कान, सर सब सड़कों पर पड़े मिलेंगे तब इनको भारत के संविधान की समझ आएगी... अरब के असली मुस्लिम सामान्य हो रहे हैं जबकि भारत के कन्वर्टेड जिहादियों ने आग मूत रखि है।
अतः इनको ठंडा करने के लिए कुछ वर्ष शरिया कोर्ट सिर्फ मुस्लिमों के मामले में शुरू कर देनी चाहिए। 1-2 साल में आधी आबादी को 72 हूरें मिल जाएगी ??
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Thanks