Bhishma Pitamah Death Bed Conversation with Lord Krishna

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 *भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ?* *उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... !* *कृष्ण चुप रहे .... !* *भीष्म ने पुनः कहा ,  "कुछ पूछूँ केशव .... ?* *बड़े अच्छे समय से आये हो .... !* *सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!* *कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....!* *एक बात बताओ प्रभु !  तुम तो ईश्वर हो न .... ?* *कृष्ण ने बीच में ही टोका ,  "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ...  मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."* *भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... !  बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "* *कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले ....  " कहिये पितामह .... !"* *भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया !  इस युद्ध में ज...

Dus Avatar - Darwin's Theory



एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से विडियो चैट करते वक्त *पूछ बैठी-*

*"बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या नहीं?"*

*बेटा बोला-*

*"माँ, मैं एक जीव वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम* कर रहा हूँ। *विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन.. क्या आपने उसके बारे में सुना भी है?"*

*उसकी माँ मुस्कुराई*
और *बोली.....*
*"मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ बेटा.. उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है।"*

“हो सकता है माँ!” बेटे ने भी *व्यंग्यपूर्वक* कहा।

*“यदि तुम कुछ समझदार हो, तो इसे सुनो..” उसकी माँ ने प्रतिकार किया।*
*“क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है?*
*विष्णु के दस अवतार ?”*
बेटे ने सहमति में कहा...
*"हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"*



*माँ फिर बोली-*
*"लेना-देना है..*
*मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हो ?"*

*“पहला अवतार था 'मत्स्य', यानि मछली।* ऐसा इसलिए कि
*जीवन पानी में आरम्भ हुआ। यह बात सही है या नहीं?”*

बेटा अब ध्यानपूर्वक सुनने लगा..

“उसके बाद आया *दूसरा अवतार 'कूर्म', अर्थात् कछुआ*
क्योंकि 
*जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया.. 'उभयचर (Amphibian)',*
तो *कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर के विकास को दर्शाया।”*

*“तीसरा था 'वराह' अवतार, यानी सूअर।* जिसका मतलब *वे जंगली जानवर, जिनमें अधिक बुद्धि नहीं होती है*। *तुम उन्हें डायनासोर कहते हो।”*
बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई..

*“चौथा अवतार था 'नृसिंह', आधा मानव, आधा पशु*। जिसने दर्शाया *जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों का विकास।”*

*“पांचवें 'वामन' हुए, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था*।
क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है? *क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे- होमो इरेक्टस(नरवानर) और होमो सेपिअंस (मानव),* और
*होमो सेपिअंस ने विकास की लड़ाई जीत ली।”*

बेटा दशावतार की प्रासंगिकता सुन के स्तब्ध रह गया..

माँ ने बोलना जारी रखा-
*“छठा अवतार था 'परशुराम', जिनके पास शस्त्र (कुल्हाड़ी) की ताकत थी*। वे दर्शाते हैं उस *मानव* को, *जो गुफा और वन में रहा.. गुस्सैल और असामाजिक।”*

*“सातवां अवतार थे 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम', सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति।* जिन्होंने *समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार।”*

*“आठवां अवतार थे 'भगवान श्री कृष्ण', राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी।* जिन्होंने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि *सामाजिक ढांचे में रहकर कैसे फला-फूला जा सकता है?*”
बेटा सुनता रहा, चकित और विस्मित..

*माँ ने ज्ञान की गंगा प्रवाहित रखी -*
*“नवां * थे 'महात्मा बुद्ध', वे व्यक्ति जिन्होंने नृसिंह से उठे मानव के सही स्वभाव को खोजा। उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की।”*

“..और अंत में *दसवां अवतार 'कल्कि' आएगा।* *वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो.. वह मानव, जो आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठतम होगा।”*

*बेटा अपनी माँ को अवाक् होकर देखता रह गया..*

*अंत में वह बोल पड़ा-*
*“ ... यह अद्भुत है माँ.. हिंदू दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है!”*

*वेद, पुराण, ग्रंथ, उपनिषद इत्यादि सब अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ आपका देखने का दृष्टिकोण होना चाहिए। फिर चाहे वह धार्मिक हो या वैज्ञानिकता...!*

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